
नीरज चोपड़ा [नेट वर्थ ₹22 करोड़]
नीरज चोपड़ा एक भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट है। नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO), और टोक्यो 2021 ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले ट्रैक और फील्ड एथलीट हैं।
नाम : नीरज चोपड़ा
वैवाहिक स्थिति : अविवाहित
माता-पिता : सरोज देवी, सतीश कुमार
जन्म तिथि : 24 दिसम्बर 1997
जन्म स्थान : पानीपत, हरियाणा (भारत)
ऊंचाई : 6‘0 इंच
स्कूल : ज्ञात नहीं
कॉलेज / विश्वविद्यालय : दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी
पुरस्कार : अर्जुन अवार्ड (2018), विशिष्ट सेवा पदक (2020), मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड (2021)
विषयसूची | Table of Contents
- नीरज चोपड़ा की जीवनी | Neeraj Chopra life story
- नीरज चोपड़ा शिक्षा | Neeraj Chopra education
- नीरज चोपड़ा करियर | Neeraj Chopra career
- प्रारंभिक प्रशिक्षण
- अंतरराष्ट्रीय शुरुआत
- 2020 टोक्यो ओलंपिक
- नीरज चोपड़ा के बारे में रोचक तथ्य | Interesting facts about Neeraj Chopra
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently asked questions
नीरज चोपड़ा की जीवनी | Neeraj Chopra life story
नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरयाणा राज्य के पानीपत नामक शहर के एक छोटे से गाँव खांद्रा में एक किसान रोड़ समुदाय में हुआ था। नीरज के परिवार में इनके पिता सतीश कुमार पेशे से एक छोटे किसान हैं और इनकी माता सरोज देवी एक गृहणी है। नीरज की दो बहनें हैं और उनका परिवार काफी हद तक कृषि से ज्यादा जुड़ा है।
नीरज की प्यारी दादी बचपन से ही नीरज को कैलोरी से भरपूर देसी व्यंजन खिलाती थी जैसे घी, मक्खन, और दूध बगैरह और नीरज इसी वजह से एक गोल-मटोल बच्चे बनते जा रहे थे और इसी वजह से आस-पड़ोस के बच्चे उन्हें बहुत चिढ़ाते थे और परेशान भी करते थे।
नीरज के पिता को नीरज का मोटा होना बिल्कुल नापसंद था और इसी लिए उन्होंने नीरज को एक डांस क्लास में भी डाला था। जोकि नीरज ने कुछ समय बाद आलस के चलते छोड़ दी थी उसके बाद फिर चोपड़ा के पिता ने उन्हें मदलौडा के एक व्यायामशाला में दाखिला दिलाया, और बाद में उन्होंने पानीपत के एक जिम में दाखिला ले लिया था।
जैवलिन थ्रो में नीरज की रुचि तब ही आ चुकी थी जब ये केवल 11 वर्ष के थे। पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में खेलते समय, उन्होंने कुछ भाला फेंकने वालों को देखा और एक बार उसी स्टेडियम में जय चौधरी को प्रैक्टिस करते देखा और वहीँ से नीरज ने भाला फेंक में भाग लेना शुरू कर दिया था।
नीरज एक बहुत ही गरीब कृषि परिवार से आते है, नीरज की शिक्षा भी एक सामान्य हरियाणा के स्कूल से हुई थी क्यूंकि उनके अलावा उनके पाँच और भाई-बहन भी थे, हालांकि नीरज चोपड़ा का पहला प्यार वॉलीबॉल था। नीरज चोपड़ा शुरू में ज्यादातर वॉलीबॉल और क्रिकेट ही खेलते थे, लेकिन 2011 में अपने चाचा के कहने पर उन्होंने भाला फेकं को करियर के रूप में चुना।
नीरज के चाचा ने कभी सीधा नीरज को नहीं कहा कि तुझे जेवलिन थ्रो में ही अपना करियर बनाना है, वो तो बस नीरज का मोटापा कम हो जाये इसलिए उनके चाचा उनको किसी न किसी स्पोर्ट्स में भेजना ही चाहते थे। जेवलिन थ्रो में तो खुद नीरज का ही पूर्ण रूप से मन था।
नीरज के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। एक बार उन्हें अपनी ट्रेनिंग के लिए डेढ़ लाख तक का भाला खरीदना था लेकिन नीरज के पिता के पास उतने पैसे थे ही नही फिर नीरज के पिता सतीश और चाचा ने 7000 रुपये जोड़े और उसी से नीरज ने एक सस्ता भाला खरीदा और अपनी भाला फेंक की ट्रेनिंग शुरू कर दी।

नीरज को अपनी ज़िन्दगी में आर्थिक तंगी के चलते ऐसे कई उतार चढ़ाव देखने पड़े, जेवलिन के लिए वर्ल्ड क्लास जेवलिन की जरुरत होती है जिसकी कीमत लाखों में होती है लेकिन नीरज के पास इतने पैसे ही नहीं हुआ करते थे तो मजबूरन उन्हें सात आठ हज़ार वाले जेवलिन से ही प्रतियोगिताओं में भाग लेना पड़ता था।

नीरज चोपड़ा शिक्षा | Neeraj Chopra education
नीरज चोपड़ा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई हरियाणा से ही की अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा करने के बाद नीरज चोपड़ा ने बीबीए कॉलेज ज्वाइन किया था और फिर चंडीगढ़ के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की, और इस समय नीरज पंजाब के जालंधर में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से कला स्नातक यानि बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई कर रहे हैं।
नीरज चोपड़ा करियर | Neeraj Chopra career

वैसे तो नीरज चोपड़ा को इस करियर में आना ही नहीं था लेकिन एक बार पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में खेलते समय, उन्होंने कुछ भाला फेंकने वालों को देखा और खुद भाग लेना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे नीरज का रुझान इस खेल की ओर बढ़ने लगा और फिर नीरज ने पूरा मन बना लिया कि मुझे भाला फेंक में ही आगे बढ़ना है।
प्रारंभिक प्रशिक्षण
नीरज ने पास के पानीपत स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) केंद्र का दौरा किया, जहाँ भाला फेंकने वाले जयवीर चौधरी ने 2010 की सर्दियों में उनकी शुरुआती प्रतिभा को पहचाना और चौधरी हैरान रहे गए कि प्रशिक्षण के बिना 40 मीटर की थ्रो… और जब इसको प्रशिक्षण दिया जायेगा तो ये क्या ही कर दिखायेगा।
नीरज की इस क्षमता को देखते हुए और उनकी ड्राइव से प्रभावित होकर, चौधरी उनके बन गए पहले कोच। चोपड़ा ने चौधरी और कुछ और अनुभवी एथलीटों से खेल की मूल बातें सीखीं, जिन्होंने जालंधर में भाला कोच के तहत प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने जल्द ही अपना पहला पदक जीतकर, जिला चैंपियनशिप में कांस्य जीता, और अपनी क्षमताओं को विकसित करने के लिए उन्होंने पानीपत में रहने के लिए अपने परिवार को अपने प्रदर्शन के बलवूते मना लिया।
चौधरी से एक साल तक प्रशिक्षण लेने के बाद 13 वर्षीय चोपड़ा को पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में भर्ती कराया गया। खेल परिसर तब सिंथेटिक रनवे के साथ हरियाणा राज्य में केवल दो सुविधाओं में से एक था। वहां, उन्होंने एक चलने वाले कोच नसीम अहमद के तहत प्रशिक्षण लिया, जिन्होंने उन्हें भाला फेंक के साथ लंबी दूरी की दौड़ में प्रशिक्षित किया।
चूंकि पंचकुला में एक विशेष भाला कोच की कमी थी, इसलिए उन्होंने और उनके साथी भाला फेंक खिलाड़ी परमिंदर सिंह ने चेक निबासी चैंपियन जैन ज़ेलेज़नी के वीडियो डाउनलोड किए और उनकी शैली की नकल करने का प्रयास किया। शुरुआत में ताऊ देवी में, चोपड़ा ने आम तौर पर लगभग 55 मीटर का थ्रो ही हासिल कर पाया, लेकिन जल्द ही नीरज ने अपनी सीमा बढ़ा दी, और 27 अक्टूबर 2012 को लखनऊ में राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 68.40 मीटर के नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर एक नया रिकॉर्ड बना दिया।

अंतरराष्ट्रीय शुरुआत
2013 में, नीरज ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, यूक्रेन में विश्व युवा चैंपियनशिप में प्रवेश किया। 2014 में उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक, बैंकॉक में युवा वर्ग में ओलंपिक में एक रजत जीता। नीरज ने 2014 के वरिष्ठ नागरिकों में 70 मीटर से अधिक का अपना पहला थ्रो हासिल किया।
उसके बाद 2015 में, नीरज ने जूनियर वर्ग में पिछला विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया, फिर अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय एथलेटिक्स मीट में 81.04 मीटर का भाला फेंका और यह उनका 80 मीटर से अधिक का पहला थ्रो था।
2016 में नीरज ने पंचकुला को छोड़कर नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला में प्रशिक्षण लिया। नीरज के अनुसार, राष्ट्रीय शिविर में उनके शामिल होने से उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, क्योंकि उन्हें पंचकूला में उपलब्ध बेहतर सुविधाएं, बेहतर गुणवत्ता वाला आहार और प्रशिक्षण का एक बेहतर स्तर मिल रहा था।

2016 में नीरज ने साउथ एशियन गेम्स में 82.23 मीटर के साथ गोल्ड, फिर आईएएएफ वर्ल्ड यू20 चम्पिओन्शिप्स, पोलैंड में 86.48 मीटर का भाला फेक नीरज भारत के पहले विश्व रिकॉर्डधारी बन गए। सितंबर में, उन्होंने बैंगलोर में भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में प्रशिक्षण के लिए नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान छोड़ दिया। उन्हें औपचारिक रूप से दिसंबर में एक जेसीओ के रूप में शामिल किया गया था, और बाद में उन्हें अपना प्रशिक्षण जारी रखने के लिए विस्तारित अवकाश दे दिया गया।
दक्षिण एशियाई खेलों में चोपड़ा के प्रदर्शन और उनकी भविष्य की क्षमता से प्रभावित होकर, भारतीय सेना ने उन्हें नायब सूबेदार के रैंक के साथ राजपूताना राइफल्स में एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) के रूप में सीधी नियुक्ति की पेशकश की, यह रैंक आमतौर पर एथलीटों को तुरंत नहीं दी जाती है।
अगस्त 2018 में, नीरज चोपड़ा ने भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एशियाई खेलों में पदार्पण किया, और एशियाई खेलों परेड ऑफ नेशंस के दौरान भारतीय दल के ध्वजवाहक भी नीरज ही थे। 27 अगस्त को, उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में पुरुषों की भाला फेंक में स्वर्ण जीतने के लिए 88.06 मीटर की दूरी का भाला फेंका और अपने ही भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड को बेहतर बनाया। यह एशियाई खेलों में भाला फेंक में भारत का पहला स्वर्ण पदक भी था।

नीरज चोपड़ा उस वर्ष देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न के लिए एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) द्वारा अनुशंसित एकमात्र ट्रैक और फील्ड एथलीट थे, लेकिन उन्हें सितंबर 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उन्हें नवंबर में सूबेदार के रूप में एक आउट-ऑफ-टर्न पदोन्नति के साथ सेना द्वारा पुरस्कृत भी किया गया।
नीरज अपनी दाहिनी कोहनी में हड्डी के टूटने के कारण दोहा में 2019 विश्व चैंपियनशिप से चूक गए, 3 मई 2019 को मुंबई में उनकी सर्जरी हो रही थी, और उसी दिन 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग प्रतियोगिता भी शुरू हुई थी।
स्वस्थ होने की अवधि के बाद, पटियाला में ध्यान और पुनर्वास प्रशिक्षण और विजयनगर में इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट में शामिल होने के बाद, चोपड़ा ने जर्मन बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ क्लॉस बार्टोनिट्ज़ के तहत प्रशिक्षण के लिए नवंबर 2019 में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की। इससे पहले, उन्हें गैरी कैल्वर्ट और वर्नर डेनियल ने प्रशिक्षित किया था।
2020 टोक्यो ओलंपिक
4 अगस्त 2021 को, नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में अपनी शुरुआत की, जापान नेशनल स्टेडियम में भारत का प्रतिनिधित्व किया और उन्होंने 86.65 मीटर के थ्रो के साथ फाइनल में प्रवेश के लिए अपने क्वालीफाइंग ग्रुप में शीर्ष स्थान हासिल किया।
नीरज चोपड़ा ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर के थ्रो के साथ 7 अगस्त को फाइनल में स्वर्ण पदक जीता, एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय ओलंपियन और एथलेटिक्स में स्वतंत्रता के बाद के पहले भारतीय ओलंपिक पदक विजेता बने।
नीरज के पदक ने भारत को खेलों में कुल सात पदक दिलाए, जो 2012 के लंदन ओलंपिक में अर्जित छह पदकों के देश के पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को पार कर गया। टोक्यो में अपने प्रदर्शन के परिणामस्वरूप, चोपड़ा पुरुषों के भाला फेंक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे स्थान पर रहने वाले एथलीट बन गए।
नीरज चोपड़ा अभिनव बिंद्रा के बाद व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय भी बने, जिन्होंने 2008 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने अपनी जीत स्प्रिंटर्स मिल्खा सिंह और पी. टी. उषा को समर्पित की, जो भारत के दोनों पूर्व ओलंपियन थे।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, नीरज भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड में पहले ओलंपिक पदक विजेता हैं, लेकिन यह स्थिति विवादित है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति और भारतीय ओलंपिक संघ दोनों ने आधिकारिक तौर पर नॉर्मन प्रिचर्ड को 1900 के पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड ओलंपिक पदक विजेता के रूप में मान्यता दी, भले ही उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था।
घर लौटने के बाद, नीरज को बुखार होने के बाद कुछ समय के लिए पानीपत अस्पताल में भर्ती कराया गया था, अपनी संक्षिप्त बीमारी और हाल ही में व्यस्त यात्रा कार्यक्रम के कारण, 26 अगस्त को नीरज ने कहा कि वह आराम करने और 2022 विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के लिए फिर से लग गए है और उन्होंने अपना प्रशिक्षण अक्टूबर में फिर से शुरू कर दिया है।

नीरज चोपड़ा के बारे में रोचक तथ्य | Interesting facts about Neeraj Chopra
10 ऐसे कुछ अज्ञात और रोचक तथ्य नीरज चोपड़ा के बारे में जो शायद आप नहीं जानते होंगे। आइए आपको कुछ ऐसे ही तथ्य बताते है :
- नीरज की प्यारी दादी बचपन से ही नीरज को कैलोरी से भरपूर देसी व्यंजन खिलाती थी, और नीरज इसी वजह से एक गोल-मटोल बच्चे थे जोकि नीरज के पिता को बिल्कुल नापसंद था और इसी लिए उन्होंने नीरज को एक डांस क्लास में भी डाला था।
- नीरज हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव के रहने वाले है। नीरज 17 सदस्यीय संयुक्त परिवार में पले-बढ़े और बच्चों में सबसे बड़े है।
- 2016 में अंडर -20 चैंपियनशिप जीतने के बाद उन्हें भारतीय सेना में नायब सूबेदार के रूप में भी पदोन्नत किया गया था।
- नीरज के पूर्व कोच गैरी कैल्वर्ट उनकी तुलना बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मिचेल जॉनसन से करते थे क्यूंकि क्रिकेट में आने से पहले जॉनसन भी भाला फेंक खिलाड़ी बनना चाहते थे।
- नीरज चोपड़ा का पहला प्यार वॉलीबॉल था। नीरज चोपड़ा शुरू में ज्यादातर वॉलीबॉल और क्रिकेट ही खेलते थे, लेकिन 2011 में अपने चाचा के कहने पर उन्होंने भाला फेकं को करियर के रूप में चुना।
- अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में नीरज ने वर्ष 2015 में 81.04 मीटर भाला फेंक कर इस आयु वर्ग का रिकॉर्ड अपने नाम किया था।
- हरियाणा के रहने वाले नीरज ने मई 2020 में दोहा में हुई डायमंड लीग में 87.43 मीटर की दूरी का भाला फेंका था।
- नीरज के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उन्हें डेढ़ लाख तक का भाला नहीं मिल सका। फिर नीरज के पिता सतीश और चाचा ने 7000 रुपये जोड़े और उसी से नीरज ने सस्ता भाला खरीदा और अभ्यास किया।
- एक समय था जब नीरज के पास कोच तक के पैसे नहीं थे । इसके बाद भी नीरज ने हार नहीं मानी और यूट्यूब से भाला फेंकने की बारीकियाँ सीखी।
- नीरज ने बताया था कि जितना भाला फेंक देखने में आसान लगता है असल में उतना है नहीं, इस खेल के लिए नीरज दिन में 7 से 8 घण्टे का लम्बा अभ्यास करते थे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently asked questions
इनकी अनुमानित कुल संपत्ति $1- $3 मिलियन है। भाला फेकने के इलावा भी नीरज कई स्त्रोत से पैसा कमाते है जैसे बड़ी-बड़ी कमापनियों के लिए एडवरटाइजिंग करना और रियलिटी शोज में मुख्या अतिथि के रूप में जाना।
हालांकि, इन दो अहम मंचों पर बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद नीरज चोपड़ा ने 2019 में होह्न की कोचिंग से निकलने का फैसला कर लिया। तब एएफआई ने होह्न के हमवतन क्लाउस बार्टोनिएट्ज को नीरज चोपड़ा का कोच नियुक्त किया।
नीरज चोपड़ा अभी बैचलर हैं और उन्होंने अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनाई है।
भाला फेंकने के अलावा नीरज भारतीय सेना में सूबेदार के पद की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। राजपूताना राइफल्स में सूबेदार नीरज ने 2011 में इस खेल को अपना लिया था।
ओलंपिक गेम्स के नियमों के अनुसार भाला फेंक में पुरुषों और महिलाओं के भाले के वजन तय होता है। पुरुष भाला फेंक प्रतियोगिता में भाले की लंबाई 2.6 से 2.7 मीटर के बीच होती है। इसका वजन 800 ग्राम होता है जबकि महिलाओं के लिए भाले की वजन 600 ग्राम और लंबाई 2.2 से 2.3 मीटर होती है।
आईएएएफ (IAAF) के नियम अनुसार नीरज चोपड़ा जी ने जिस भाले का उपयोग स्वर्ण पदक जीतने के लिए किया था, उस भाले का वजन 800 ग्राम था।
नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा राज्य के पानीपत शहर के एक छोटे से गांव खांद्रा में हुआ था।
नीरज ने क्वालिफाइंग राउंड में 86.65 मीटर भाला फेंका था। उन्होंने वहां भी एक ही बार भाला फेंककर क्वालिफाई कर लिया था।
24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत में नीरज चोपड़ा का जन्म गांव खंडरा के रहने वाले सरोज देवी और सतीश कुमार के यहां हुआ था। नीरज चोपड़ा के कुल पांच भाई बहन हैं। नीरज के पिता सतीश कुमार पेशे से किसान हैं।